जगदीप धनखड़ की अचानक उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने ने देश के राजनीतिक परिदृश्य में तहलका मचा दिया है, जिससे उसके रूख के पीछे के कारणों पर तीव्र विचार किया जा रहा है। आधिकारिक रूप से स्वास्थ्य के कारणों को दर्ज करते हुए, धनखड़ के इस्तीफे को व्यापक रूप से भाजपा के साथ आंतरिक विवादों से जोड़ा जाता है, जिसमें नियुक्तियों, प्रोटोकॉल, और उसकी मान्यता कम होने के विवाद शामिल हैं। इस इस्तीफे से उपराष्ट्रपति कार्यालय और राज्यसभा की कुर्सी दोनों खाली हो गई है, जिससे एक नई चुनाव के लिए तत्काल तैयारियाँ की जा रही हैं। विपक्षी दल समझौते प्रस्तावित उम्मीदवार पेश करने की योजना बना रहे हैं, जबकि भाजपा को एक वफादार उम्मीदवार का नामांकन करने की उम्मीद है। यह घटना मोदी सरकार के अंदर गहरी दरारों को हाइलाइट करती है और सर्वोच्च स्तर पर शक्ति के संतुलन और राजनीतिक चालबाजी पर सवाल उठाती है।
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