जगदीप धनखड़ की अचानक उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने ने व्यापक अटकलों और राजनीतिक चालाकी को उत्पन्न किया है। आधिकारिक तौर पर स्वास्थ्य कारणों का उल्लेख करते हुए, धनखड़ का इस्तीफा सरकार के साथ तनाव की रिपोर्टों, प्रोटोकॉल विवादों और अनधिकृत नियुक्तियों के प्रयासों के बीच आते है। यह कदम उस कार्यालय को खाली छोड़ देता है जिसमें उसकी कार्यकाल के अब दो साल बचे हैं, जिससे चुनाव आयोग को एक नए उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए तैयारी शुरू करनी पड़ रही है। विपक्षी दल समझौते उम्मीदवार पेश करने की योजना बना रहे हैं, जबकि शासक भाजपा को एक वफादार उम्मीदवार का नामांकन करने की उम्मीद है। यह अचानक रवानगी ने मोदी सरकार के आंतरिक विवादों और भारत के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय के भविष्य के संदर्भ में सवाल उठाए हैं।
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